अब ना गाड़ी बुलाती है, और ना सीटी बजाती है...
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अब ना गाड़ी बुलाती है, और ना सीटी बजाती है...
अपनी तो जिन्दगी बस, यूँ ही बीती जाती है...
अब ना डिब्बों का मेल है, ना छुक छुक का खेल है...
गुजर गये जो प्यारे लम्हें, उन लम्हों की याद आती है...
अब ना सीने में आग है, ना कोई सुरीला राग है...
ठहर गया साहिल जैसा, बस लहरें आती जाती है...
अब ना गाड़ी बुलाती है, और ना सीटी बजाती है...
अब तो जिन्दगी 'रवीन्द्र', बस यूँ ही बीती जाती है...
....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐💐
@9424142450#
वाह
ReplyDeleteshukriya ji
Deleteबहुत सुंदर रविंद्र भाई ��, एक साथ , एक जगह आपके चुनिंदा मोतियों की माला �� जब कभी तन्हा हो मन , तब हो ले रविंद्र के संग ��
ReplyDeleteसंकलन पसंद करने के लिये ह्रदय से आभार मित्र...
ReplyDeleteआपका प्रेम ही मेरी रचनाधर्मिता का सुदृढ़ आधार है....
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