Wednesday, 12 April 2017

वो हसीं वादियाँ.....

वो हसीं वादियाँ, हम मिले थे जहाँ...
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वो हसीं वादियाँ, हम मिले थे जहाँ,
बात करने लगे, वो क़दमों के निशां...

कभी गीत सुरमई, फिज़ाओं में थी,
गुनगुनाता है आज, ये सारा जहां...

क्यूँ खोलूँ मैं आँखें, बंद ही रहने दूँ,
ना टूटे तेरे, ख़्वाबों का कारवां...

जान ये जायेगी, ग़र जुदा मैं हुआ,
इसी सोच में, हो गया मैं धुँआ...

बाद मुद्दत 'रवीन्द्र', आज हैं हम मिले,
ख़्वाब रंगीं हुए, और महफ़िल जवां...

....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
@9424142450#...

5 comments:

  1. बहुत खूब
    रुद्र अवस्थी

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  2. बहुत खूब
    रुद्र अवस्थी

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  3. गजब के भाव हैं काव्य में।

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    1. हौसला अफजाई के लिए ह्रदय से आभार @ललित जी....

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पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...