वो हसीं वादियाँ, हम मिले थे जहाँ...
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वो हसीं वादियाँ, हम मिले थे जहाँ,
बात करने लगे, वो क़दमों के निशां...
कभी गीत सुरमई, फिज़ाओं में थी,
गुनगुनाता है आज, ये सारा जहां...
क्यूँ खोलूँ मैं आँखें, बंद ही रहने दूँ,
ना टूटे तेरे, ख़्वाबों का कारवां...
जान ये जायेगी, ग़र जुदा मैं हुआ,
इसी सोच में, हो गया मैं धुँआ...
बाद मुद्दत 'रवीन्द्र', आज हैं हम मिले,
ख़्वाब रंगीं हुए, और महफ़िल जवां...
....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
@9424142450#...
बहुत खूब
ReplyDeleteरुद्र अवस्थी
धन्यवाद भैया...
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteरुद्र अवस्थी
गजब के भाव हैं काव्य में।
ReplyDeleteहौसला अफजाई के लिए ह्रदय से आभार @ललित जी....
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