Friday 24 November 2017

सँवारो इन्हें.... मेरी माँ...


बेचैन मन फिर ढूंढे वो आँचल,
बन कर हवा उड़ चली हो कहाँ...

यूँ तो खिले चाँद तारे हैं बेशक,
लगे स्याह फिर क्यों हमें आसमां...

ये धरती, अम्बर, नज़ारे वही हैं,
लगे फिर क्यों सूना ये सारा जहां...

चलना सिखाया हमें थाम उँगली,
कोई देख ले बन गया कारवां...

हासिल है दुनिया सबकी नज़र में,
वक़्त भी जालिम हुआ मेहरबां...

कहने को बहुत कुछ है दिल में,
बातें किसे सब करें हम बयां...

रिश्ते हुए कई बेज़ार तुम बिन,
आ कर सँवारो इन्हें मेरी माँ...

...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐

24 नवम्बर... नवम पुण्यतिथि पर ममतामयी माँ को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...

Sunday 19 November 2017

मन मोहन हो जाए...


कान्हा की बंशी सबको बुलाए,
राग-प्रेम का गीत सुनाए...
आँख खुले तो, जग वृन्दावन,
स्वप्न में मोहन भाए...

प्रीत की डोर बंधी है ऐसी,
भोर सुहानी, पुरवा जैसी,
तन-मन है इठलाए...
फिर कान्हा क्यों सताए...

आस मेरी है ब्रज बालाएं,
जीवन के नित आस जगाएं,
अंग अंग है मुस्काए...
मन मोहन हो जाए...

आस भरे नैनों को मूंदें,
खो कर मन, मोहन को ढूंढें,
इत उत नित सब पाए...
मन ही मन मुस्काए....

राधा रखे है, मान हिना की,
भेद न जाने, हम यमुना की,
गहरे गोते वो लगाए...
जीवन राह दिखाए...

मन मोहन हो जाए...
मन मोहन हो जाए...


...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐

जय श्री कृष्णा....

पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...