Friday 30 June 2017

धूप मुलाकातों की...

उम्मीद-ए-रौशनी में, शब गुजार लेता हूँ...
धड़कनों की सरगम से, सुर उधार लेता हूँ...

काफ़िले वो खुशियों के, मेरी गली आएँगे...
देख के आईना, खुद को संवार लेता हूँ...

छोड़िये वो बातें, जो दिल को दुखा देती हैं...
एक मुस्कुराहट पे, सब कुछ निसार देता हूँ...

धूप मुलाकातों की, इसलिये भी जरूरी है......
एक झलक पा के, दुआएँ हजार लेता हूँ...

दिल में बसाया है ग़र, दुनिया को बताना क्या?...
शबनमी सी यादों को, दिल के तार देता हूँ...

बंद मुठ्ठियों में है, नेमत खुदा की 'रवीन्द्र',
आलम-ए-तन्हाई में, खुद को पुकार लेता हूँ...

...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
*9424142450#

Monday 26 June 2017

उम्मीदों का मौसम जवां हो गया...

बूंदे बारिश की टिप-टिप टपकने लगी,
फिर उम्मीदों का मौसम जवां हो गया...

हुस्न की क्या अज़ब है ये जादूगरी?

आ के गालों पे मोती फ़ना हो गया...

ये सुबह शबनमी गुनगुनाने लगी,

ख़ौफ रातों का जाने कहाँ खो गया..?

तपिश धूप की लो कहीं खो गयी,

खिजां का वो मौसम धुआँ हो गया...

देखो तनहाई बैरन सिमटने लगी,

तेरे आने से दिलकश समां हो गया...

दिल मचलने लगा है यही सोच कर,

फिर से ख़्वाबों का अब कारवां हो गया...

...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐💐

*9424142450#

पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...