ओस बन छू लूँ तुझे मैं,
धुन्ध बन कर साथ हूँ।
तन-बदन को ताज़गी दे,
वो हसीन ख़यालात हूँ।।
मैं तेरी राहों का रहबर,
धूप में साया सघन।
जो खुशी दे उम्र भर,
अलमस्त वो लमहात हूँ।।
मैं तेरे ख़्वाबों की रंगत,
और ख़यालों का हुदूद।
जुस्तज़ु की लगन हूँ मैं,
गुफ़्तगू की बिसात हूँ।।
गुनगुनाती हो जिसे तुम,
वो सुरीला राग हूँ।
सिर्फ आँखों से बयां हो,
दिल की गहरी बात हूँ।।
नित प्रेम के संदेश दे,
वो मुस्कुराता मेघ हूँ।
प्यास वसुधा की बुझा दे,
मैं वही बरसात हूँ।।
#हुदूद=सीमाएँ,हद
www.kaviravindra.com
छायाचित्र google से साभार...
Superb
ReplyDeleteशुक्रिया जी
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