भूल कर भय, तुम लहर की, भुजाएं पतवार कर लो।
आगे बढ़ कर युद्ध लड़ लो, अश्रु सब अँगार कर लो।
वीर तो केवल वही है, जिसे रण का भय न किंचित।
उठो अब गांडीव लेकर, प्रतिध्वनित हुंकार भर लो।
भावना, संवेदना, करुणा, सकल श्रृंगार समुचित।
युद्धभूमि का मान समझो, नख यथा तलवार कर लो।
रक्तरंजित पथ मिले या, दिग्भ्रमित साहस कदाचित।
साध कर हर पग धरो, दुर्भाग्य के मनुहार कर लो।
सकल जग यह मात्र भ्रम है, सब दिशाएँ आनी जानी।
प्रतिस्थापित मूल्य कर, निज धरा पर उपकार कर लो।
भूल कर भय, तुम लहर की, भुजाएँ पतवार कर लो।
आगे बढ़ कर युद्ध लड़ लो, अश्रु सब अँगार कर लो।
...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
छायाचित्र गूगल से साभार...
आगे बढ़ कर युद्ध लड़ लो, अश्रु सब अँगार कर लो।
वीर तो केवल वही है, जिसे रण का भय न किंचित।
उठो अब गांडीव लेकर, प्रतिध्वनित हुंकार भर लो।
भावना, संवेदना, करुणा, सकल श्रृंगार समुचित।
युद्धभूमि का मान समझो, नख यथा तलवार कर लो।
रक्तरंजित पथ मिले या, दिग्भ्रमित साहस कदाचित।
साध कर हर पग धरो, दुर्भाग्य के मनुहार कर लो।
सकल जग यह मात्र भ्रम है, सब दिशाएँ आनी जानी।
प्रतिस्थापित मूल्य कर, निज धरा पर उपकार कर लो।
भूल कर भय, तुम लहर की, भुजाएँ पतवार कर लो।
आगे बढ़ कर युद्ध लड़ लो, अश्रु सब अँगार कर लो।
...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
छायाचित्र गूगल से साभार...