रात्रि का अंतिम प्रहर है,
दिन नया फिर आयेगा।
दीप जल उठे हजारों,
यह अंधेरा छट जायेगा।
रख भरोसा राम पर,
वो सबके पालनहार हैं।
लहरें हैं अनगिनत पर,
विजयी सदा पतवार है।
आसुरी विपदा अगम है,
पार वो ही लगायेगा।
कुपित हैं सद्भावनाएँ,
क्लेश है, नित द्वेष है।
रक्तरंजित हो रहा जग,
यह समर अभी शेष है।
वरण कर सन्मार्ग का,
शांति ध्वज लहरायेगा।
देव, दानव, नाग, किन्नर,
संशय घड़ी जाने हैं इंद्र।
प्रस्फुटित ज्वालामुखी,
भयभीत ना होना रवींद्र।
बीत जायेगा यह पतझड़,
ऋतु बसंत फिर आयेगा।
रात्रि का अंतिम प्रहर है,
दिन नया फिर आयेगा।
दीप जल उठे हजारों,
यह अंधेरा छट जायेगा।
...©रवीन्द्र पाण्डेय ...
#9424142450#
#Fight_against_CORONA_COVID-19
दिन नया फिर आयेगा।
दीप जल उठे हजारों,
यह अंधेरा छट जायेगा।
रख भरोसा राम पर,
वो सबके पालनहार हैं।
लहरें हैं अनगिनत पर,
विजयी सदा पतवार है।
आसुरी विपदा अगम है,
पार वो ही लगायेगा।
कुपित हैं सद्भावनाएँ,
क्लेश है, नित द्वेष है।
रक्तरंजित हो रहा जग,
यह समर अभी शेष है।
वरण कर सन्मार्ग का,
शांति ध्वज लहरायेगा।
देव, दानव, नाग, किन्नर,
संशय घड़ी जाने हैं इंद्र।
प्रस्फुटित ज्वालामुखी,
भयभीत ना होना रवींद्र।
बीत जायेगा यह पतझड़,
ऋतु बसंत फिर आयेगा।
रात्रि का अंतिम प्रहर है,
दिन नया फिर आयेगा।
दीप जल उठे हजारों,
यह अंधेरा छट जायेगा।
...©रवीन्द्र पाण्डेय ...
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