तुम जो मिले, ये गुल खिले,
तुम जो मिले, ये गुल खिले,
दूरियां फ़ना हुई, मिटे फासले...
दूरियां फ़ना हुई, मिटे फासले...
तुम जो मिले...
बेचैन था ये दिल, अरमान धुआँ-धुआँ,
चैन कहीं पायें ना, जाएं भला हम कहाँ,
हरदम सताये हमें, शिकवे गिले...
तुम जो हमें, ये गुल खिले...
तुम जो मिले...
जाने किस मोड़ पे, मिल जाओ तुम,
जाने किस घड़ी, नज़र आओ तुम,
ख़्वाबों में ख़यालों में, यही सिलसिले...
तुम जो मिले, ये गुल खिले...
तुम जो मिले...
रातें गुजरती नहीं, दिन खफ़ा खफ़ा,
भूल क्या हुई हम से, कोई दे बता,
खता गर हुई हम से, सजा भी मिले...
तुम जो मिले, ये गुल खिले...
तुम जो मिले...
यही सोचता है दिल, देखें बस तुम्हें,
डाले बाहें बाहों में, संग-संग झूमें,
दिल की बेकरारी को, करार मिले...
तुम जो मिले, ये गुल खिले...
तुम जो मिले...
तुम जो मिले, ये गुल खिले...
दूरियां फ़ना हुई, मिटे फासले...
...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
*9424142450#