सब तोड़ के तिलिस्म ज़माने के चली आ,
वादे किए जो हमने निभाने को चली आ...
अब आ भी जा सूनी है ज़िन्दगी तेरे बग़ैर,
बेशक मुझे तू छोड़ के जाने को चली आ...
सांसें हुई बोझिल ये धड़कने गवाह हैं,
रूठे हुए से दिल को मनाने को चली आ...
खोई हुई मंज़िल सभी राहें धुआँ - धुआँ,
शम्मा मेरी महफ़िल में जलाने को चली आ...
ये काली घटाएं हैं या बिखरी तेरी जुल्फ़ें,
बरखा तू मेरी प्यास बुझाने को चली आ...
उलझे हुए अरमान सभी ख्वाहिशें 'रवीन्द्र',
उजड़ी मेरी दुनियां तू सजाने को चली आ...
...© रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
वादे किए जो हमने निभाने को चली आ...
अब आ भी जा सूनी है ज़िन्दगी तेरे बग़ैर,
बेशक मुझे तू छोड़ के जाने को चली आ...
सांसें हुई बोझिल ये धड़कने गवाह हैं,
रूठे हुए से दिल को मनाने को चली आ...
खोई हुई मंज़िल सभी राहें धुआँ - धुआँ,
शम्मा मेरी महफ़िल में जलाने को चली आ...
ये काली घटाएं हैं या बिखरी तेरी जुल्फ़ें,
बरखा तू मेरी प्यास बुझाने को चली आ...
उलझे हुए अरमान सभी ख्वाहिशें 'रवीन्द्र',
उजड़ी मेरी दुनियां तू सजाने को चली आ...
...© रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐