Sunday, 16 July 2017

मंजिलों से प्यार कर...

सिमटती राहें कह रहीं, मंजिलों से प्यार कर...
धड़कनों का राग सुन, सांसों का व्यापार कर...

वक़्त से कर यारियाँ, ये जो गुजरे ना मिले...
कह दे जो दिल में तेरे, प्रेम का  इज़हार कर...

दो घड़ी -सी ज़िन्दगी, कब ये खो जाए कहीं...
जी ले हर पल मौज में, ना इसे दुश्वार कर...

है उजाला दूर तक, देख ले जी भर इसे...
रात है काली अगर, सुबह का इंतज़ार कर...

ज़िन्दगी के मायने, मिलना बिछड़ना है 'रवीन्द्र'...
हँस के जी ले हर घड़ी, यूँ ना इसे बेज़ार कर...

...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐

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