ढूंढने निकला हूँ फिर मैं, ज़िन्दगी के मायने,
शाम तक शायद मिले वो, या अंधेरी रात हो...
सफ़र है ये ज़िन्दगी तो, चलते रहना लाज़मी,
है कभी तनहाईयाँ, कभी हमसफ़र का साथ हो...
एक आहट से किसी की, जोर से धड़का है दिल,
मुमकिन है ये भी दिल के, महज ख़यालात हो...
शबनमी सुबह कभी तो, दोपहर सी हो तपिश,
अकेले हों हम कभी, और तारों की बारात हो...
चार कदमों का सफ़र, इम्तेहां है हर कदम,
मुस्कुराता चल 'रवीन्द्र', चाहे कोई हालात हो...
...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
शाम तक शायद मिले वो, या अंधेरी रात हो...
सफ़र है ये ज़िन्दगी तो, चलते रहना लाज़मी,
है कभी तनहाईयाँ, कभी हमसफ़र का साथ हो...
एक आहट से किसी की, जोर से धड़का है दिल,
मुमकिन है ये भी दिल के, महज ख़यालात हो...
शबनमी सुबह कभी तो, दोपहर सी हो तपिश,
अकेले हों हम कभी, और तारों की बारात हो...
चार कदमों का सफ़र, इम्तेहां है हर कदम,
मुस्कुराता चल 'रवीन्द्र', चाहे कोई हालात हो...
...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
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