तू खुद को ज़रा आज़मा के तो देख...
चली आयेगी वो हवा की तरह,
तू मौसम की तरह बुला के तो देख...
भले दूर है खुशियों का नगर,
दो कदम ज़रा तू बढ़ा के तो देख...
सिफर है अगर हासिल-ए-ज़िन्दगी,
तू आईना ज़रा मुस्कुरा के तो देख...
रख उम्मीद में तू सुबह शबनमी,
स्याह रातों में ख़्वाब सजा के तो देख...
मिलेगा सुकूं भी दिल को 'रवीन्द्र',
हँस के रिश्ता कोई निभा के तो देख...
....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
*9424142450#
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