Thursday 14 December 2017

दुनियां तू सजाने को चली आ...

सब तोड़ के तिलिस्म ज़माने के चली आ,
वादे किए जो हमने  निभाने को चली आ...

अब आ भी जा सूनी है ज़िन्दगी तेरे बग़ैर,
बेशक मुझे तू  छोड़ के जाने को चली आ...

सांसें  हुई  बोझिल  ये  धड़कने  गवाह हैं,
रूठे हुए से दिल को  मनाने  को चली आ...

खोई हुई मंज़िल  सभी  राहें धुआँ - धुआँ,
शम्मा मेरी महफ़िल में जलाने को चली आ...

ये काली घटाएं हैं  या  बिखरी तेरी जुल्फ़ें,
बरखा तू मेरी प्यास बुझाने को चली आ...

उलझे हुए अरमान सभी ख्वाहिशें 'रवीन्द्र',
उजड़ी मेरी दुनियां तू सजाने  को चली आ...

...© रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐

Friday 8 December 2017

कुछ पल जो अकेला होता हूँ...

कुछ पल जो अकेला होता हूँ,
शब्दों की माला पिरोता हूँ,
लिखता हूँ अपने दिल की बात,
हँस कर आँखों को भिगोता हूँ..
कुछ पल जो....

दिल के जख्म दिखाएं किसे,
ये दर्द करें किसको बयां,
पथरीली ये जमीन हुई,
चुभता है अब आसमां,
इस लब पे बिखेरे हुए हँसी,
मैं दिल ही दिल में रोता हूँ...
लिखता हूँ अपने दिल की बात,
हंस कर आँखों को भिगोता हूँ...
कुछ पल जो....

भूला मुझे जहान तो क्या, 
जीवन है बियाबान तो क्या,
राह अंधेरे हैं मुमकिन,
कटते नहीं हैं ये पल छिन,
बिखरे हुए जो लमहें हैं,
यादों के हार पिरोता हूँ...
लिखता हूँ अपने दिल की बात,
हंस कर आंखों को भिगोता हूँ...
कुछ पल जो....

आएगा कोई राहों में,
भर लेगा मुझे बाहों में,
करवट बदल के रात कटे,
दिन सिसकी और आहों में,
ये धुँआ-धुँआ तनहा आलम,
ना जागता हूँ ना सोता हूँ,
लिखता हूँ अपने दिल की बात,
हँस कर आँखों को भिगोता हूँ...
कुछ पल जो....

कुछ पल जो अकेला होता हूँ...
शब्दों की माला पिरोता हूँ...

...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐

Tuesday 5 December 2017

खुशनुमा सुबह के ओ सौदागर...


खुशनुमा सुबह के ओ सौदागर, 

बड़ा खूब ढाया है तूने कहर,
लेकर उनींदे हमारी सभी,
देते हो क्यों अलसाया सहर...

कैसी है ख्वाबों की ये अनकही,
बातें दिलों की दिल मे रही,
सुहाना लगे है ख्वाबों का सफर,
बड़ा खूब ढाया है तूने कहर...

धड़कन क्यों बेताब हैं आजकल,
सदियों सा लागे हमें एक पल,
मंज़िल से है खूबसूरत डगर,
बड़ा खूब ढाया है तूने कहर...

ख्वाहिश जवां कैसे होने लगी,
तनहाई सिसक के है रोने लगी,
आंसू हैं या कोई मीठा जहर,
बड़ा खूब ढाया है तूने कहर...

खुशनुमा सुबह के ओ सौदागर,
बड़ा खूब ढाया है तूने कहर...


...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐

पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...