Tuesday 27 April 2021

फिर सहर सुनहरी आएगी...


सुन  स्याह रात  के बाशिंदे,

फिर सहर सुनहरी आएगी।

दे कर नई सांसें जीवन को, 

फिर दुनियां को महकाएगी।।


फिर फूल खिलेंगे गुलशन में,

चिड़िया चहकेंगी  आँगन में।

फिर    बाग   बगीचे   झूमेंगे,

कोयल फिर कूक सुनाएगी।।


आबाद होंगी फिर पगडंडी,

पनघट पर पनिहारिन होंगी।

फिर  ताल  तलैया  मचलेंगे,

जब  बरखा  रानी  आएगी।।


जब साँझ  ढलेगी  दूर कहीं,

दिन खुद को सहज समेटेगा।

घर  लौटने  वाले  लोगों  के,

कदमों  की  आहट आएंगी।।


मिट जाएंगे बैर और गुमान,

आबाद  होंगे  सूने  मकान।

फिर पायल छनकेगी घर में,

दादी फिर  लोरी  सुनाएगी।।


तुलसी का बिरवा महकेगा,

फिर हवनकुंड भी दहकेगा।

गूँजेंगे फिर  से श्लोक, मंत्र,

दुल्हन  आरती  सजाएगी।।


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Saturday 24 April 2021

हुई नए दिन की शुरुआत...

ख़्वाब सजाए गुज़री रात,

सुबह सलोनी, महके पात।

चहकती चिड़िया दे संदेश,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


कलियाँ चटक के फूल हुए,

संशय  सब  निर्मूल  हुए।

उपवन की अनुपम सौगात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


भौरें  फिर  मंडरायेंगे,

अनुपम गीत सुनाएंगे।

कह डालेंगे दिल की बात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


बिस्तर छोड़ किसान उठा,

हर मजदूर,  जवान उठा।

सुधरेंगे  फिर  से  हालात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


समय सदा ना एक रहा,

धार भी लें तटबंध बहा।

सर्दी, गर्मी फिर बरसात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


तू भी अपनी ऑंखें खोल,

बोल सहज ही मीठे बोल।

कर हालात से दो दो हाथ,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


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Saturday 17 April 2021

चाँद अकेला छत पर तनहा...

चाँद अकेला छत पर तनहा,

हरसू एक ख़ामोशी है।

रात उनींदी अलसाई सी,

आँखों में मदहोशी है।


तारे निपट अकेले हैं सब,

धुआँ धुआँ सा ये आलम।

बातें बन्द हुई क्यों इनकी,

हर एक इनमें दोषी है।


राह अकेले चुप सा बैठा,

मंज़िल बेहद तनहा है।

यादों के सौ दस्तक दिल पर,

ख़्वाबों की सरगोशी है।


#हरसू=चारो तरफ़

#सरगोशी=कानाफूसी


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ये कौन से भँवर में, आ गई है ज़िन्दगी...

ये कौन से भँवर में, आ गई है ज़िन्दगी।

खैरियत के मायने, ज़िंदा बचे हैं हम।।


ख़्वाब उड़ गये सभी, हो कर धुआँ धुआँ।

चैन ओ सुकूं फ़ना, नींद आती है कम।।


सोचा था बसाएँगे, बस्ती भी चाँद पर।

सूनी पड़ी है धरती, रहने को लोग कम।।


किससे हुई ये चूक, गफ़लत ये है कैसी।

थम सी गई है धड़कन, ऑंखें हुई हैं नम।।


कराहते गली, शहर, सिसक रहे श्मशान।

हो गए हैं नाकाफ़ी, रूपये, टका, दिरहम।।


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छायाचित्र गूगल से साभार...



ज़िन्दगी दे रही है, सदा प्यार की...


 भूल शिकवे गिले, हाथ थामों ज़रा।

दौर बिल्कुल नहीं है ये तकरार की।।


रोक लो पाँव को अब दहलीज़ पर।

मान रख लो प्रियतम के मनुहार की।।


वक़्त ये भी, गुज़र जाएगा देखना।

ज्यादा होती नहीं, उम्र है ख़ार की।।


यूँ न मायूस हो, दस्तक ए मौत से।

ज़िन्दगी  दे रही है, सदा प्यार की।।


धरे बैठे हैं, हाथों पर हाथें 'रवीन्द्र'।

कभी करते थे बातें जो रफ़्तार की।।


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ख़ार = कांटा

आयेगा फिर सवेरा....


 आओ हम एक दूजे से,  यही करार लें,

करके जरूरतें कम, कुछ दिन गुज़ार लें।


माना है दौर मुश्किल, परेशानियाँ बहुत,

नाहक न निकलें बाहर, जीवन संवार लें।


आयेगा फिर सवेरा, गुज़रेगी स्याह रात,

बेहतर है इस घड़ी में, अपनों को प्यार दें।


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#Stayhome_staysafe

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पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...