चाँद अकेला छत पर तनहा,
हरसू एक ख़ामोशी है।
रात उनींदी अलसाई सी,
आँखों में मदहोशी है।
तारे निपट अकेले हैं सब,
धुआँ धुआँ सा ये आलम।
बातें बन्द हुई क्यों इनकी,
हर एक इनमें दोषी है।
राह अकेले चुप सा बैठा,
मंज़िल बेहद तनहा है।
यादों के सौ दस्तक दिल पर,
ख़्वाबों की सरगोशी है।
#हरसू=चारो तरफ़
#सरगोशी=कानाफूसी
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