Friday 2 October 2020

यहाँ तो लोग, दिलों में दीवार रखते हैं...


अपने मुल्क़ की बेहतरी के ख़्वाब क्या देखूँ...

यहाँ तो लोग, दिलों में दीवार रखते हैं।


किसी मज़लूम की हालात से पसीजें ना भले...

मग़र लाशों को, सब सरे बाज़ार रखते हैं।


मची है होड़ क्यूँ, सब हैं अगर ये पैरोकार...

भाई-भाई में फिर क्यों दरार रखते हैं।


सिखाये जिसने हमें ककहरे तुतलाते हुए...

ज़बां क्यूँ उनके लिए धारदार रखते हैं।


सभी को चाहिए बरक़त, अमन, चैन ओ सुकूं...

कोई बतला दे, फिर क्यों औज़ार रखते हैं।


किसे परवाह 'रवीन्द्र', तड़पते बड़े बूढ़ों की...

सजा के रौशनी में, सब मज़ार रखते हैं।


...©रवीन्द्र पाण्डेय

छायाचित्र गूगल से साभार...

Tuesday 11 August 2020

छुप के माखन निकाले हैं...


जो खेले  गोपियों के संग,
उँगली पर गिरि संभाले हैं।
जगत स्वामी रहे फिर भी,
छुप के माखन निकाले हैं।

लहर व्याकुल रहीं कितनी,
चरण छूने को बालक के।
वो ब्रज की मान नंदलाला,
जिनके  किस्से  निराले हैं।

मोह  के   पाश  में   बाँधे, 
वो धुन प्यारी मुरलिया के।
कुचल कर कालिया के फन,
सभी छल बल निकाले हैं।

मित्र बन कर सुदामा के,
बढ़ा दें  मित्रता  के  मान।
भ्रमित अर्जुन को दे उपदेश,
वो रण में रथ संभाले हैं।

जगत को है दिये जिसने,
अनूठे   प्रेम   के   संदेश।
धर्म की मान के खातिर,
सुदर्शन भी  निकाले  हैं।

रखें जो द्रौपती की लाज,
गोपियों के वो मनमोहन।
हूँ नतमस्तक सदा कृष्णा,
ये जीवन तेरे हवाले है।


रवीन्द्र पाण्डेय 

Saturday 18 April 2020

अश्रु सब अँगार कर लो...

भूल कर भय, तुम लहर की, भुजाएं पतवार कर लो।
आगे बढ़ कर युद्ध लड़ लो, अश्रु सब अँगार कर लो।

वीर तो केवल वही है, जिसे रण का भय न किंचित।
उठो अब गांडीव लेकर,  प्रतिध्वनित  हुंकार भर लो।

भावना, संवेदना, करुणा,  सकल  श्रृंगार  समुचित।
युद्धभूमि का मान समझो, नख यथा तलवार कर लो।

रक्तरंजित पथ मिले या, दिग्भ्रमित साहस कदाचित।
साध कर  हर  पग धरो, दुर्भाग्य के  मनुहार  कर लो।

सकल जग यह मात्र भ्रम है, सब दिशाएँ आनी जानी।
प्रतिस्थापित मूल्य कर, निज धरा पर उपकार कर लो।

भूल कर भय, तुम लहर की, भुजाएँ पतवार कर लो।
आगे बढ़ कर युद्ध लड़ लो, अश्रु सब अँगार कर लो।

...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
छायाचित्र गूगल से साभार...

Sunday 5 April 2020

यह अंधेरा छट जायेगा...

रात्रि का अंतिम प्रहर है, 
दिन नया फिर आयेगा।
दीप  जल  उठे   हजारों,
यह अंधेरा छट जायेगा।

रख  भरोसा  राम  पर,
वो सबके पालनहार हैं।
लहरें  हैं अनगिनत पर,
विजयी सदा पतवार है।
आसुरी विपदा अगम है,
पार  वो  ही  लगायेगा।

कुपित  हैं  सद्भावनाएँ,
क्लेश है, नित द्वेष  है।
रक्तरंजित हो रहा जग,
यह समर अभी शेष है।
वरण  कर  सन्मार्ग का,
शांति ध्वज लहरायेगा।

देव, दानव, नाग, किन्नर,
संशय घड़ी जाने हैं  इंद्र।
प्रस्फुटित   ज्वालामुखी,
भयभीत ना होना रवींद्र।
बीत जायेगा यह पतझड़,
ऋतु बसंत फिर आयेगा।

रात्रि का अंतिम प्रहर है,
दिन नया फिर आयेगा।
दीप  जल  उठे  हजारों,
यह अंधेरा छट जायेगा।


...©रवीन्द्र पाण्डेय ...
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Monday 23 March 2020

हम नेक हैं इंसान...

लाचार किस कदर से, हो गया है इंसान।
सूनी  पड़ी  हैं  सड़कें, बाज़ार  हैं  वीरान।

आया ये दौर कैसा, दुनिया है बदहवाश।
धरती पे उतर आया, कहाँ से  ये शैतान।

धड़कन सहम गई हैं, साँसें  गई  हैं थम।
अमेरिका हो इटली, क्या चीन या ईरान।

बने रहें सजग हम, यही वक़्त की पुकार।
इंसानियत की बाकी, है इक यही पहचान।

आये हैं  देवदूत सब, लड़ने तेरी ख़ातिर।
डॉक्टर के रूप में ही, मौजूद हैं भगवान।

आओ रहें हम घर में, बाहर नहीं निकलें।
मिल-बैठ हँसें गायें, चेहरे पे हो मुस्कान।

ख़ुद पर भी रखें काबू, हुक्मरां पे भरोसा।
यही वक़्त है बता दें, हम नेक हैं  इंसान।

...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
छायाचित्र गूगल से साभार...
वैश्विक महामारी (COVID19) के विरुद्ध मानव जाति के एकजुट संघर्ष की बानगी...

Monday 9 March 2020

जहां में कायम रहे उमंग...

फ़ागुन आया लेकर, अपने साथ में कितने रंग,
मगन  हुए हैं  ढोल नगाड़े, थिरकन लगे मृदंग।

अल्हड़ बाला भर पिचकारी प्रेम की करे फुहार,
सराबोर हुआ  रंगों से, चहुँ  मादक  अंग-तरंग।

गले मिल रहे साथ सभी के,  रंगे हुए  हैं  गाल,
मस्ती के आलम में भीगी,  दुनिया हुई मलंग।

लेकर  इन  रंगों को लिखें,  नई  ईबारत  आज,
मानवता के  सागर में  हों,  प्रेम ही  प्रेम तरंग।

भेदभाव का हो उन्मूलन, समरस  हो व्यवहार, 
प्रेम रंग जो चढ़ा  फिज़ा में, मन भाये  हुड़दंग।

होली  का  त्यौहार अनोखा, जोड़े  दिल के तार,
यही दुआ है 'रवीन्द्र', जहां में कायम रहे उमंग।

होली की रंगबिरंगी शुभकामनाएं...

...©रवीन्द्र पाण्डेय🌹🌹

पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...