Monday, 14 August 2017

प्रेम रंग हो मोहना...


हे मोहना, मन मोहना...
तुम आस हो, तुम स्वांस हो...

मेरे अनंतिम सोच के,
अपरिमित आकाश हो...

तुम प्रेम रंग हो मोहना,
तुम सुर-सलिल आभास हो...

जीवन का मेरे प्रमाण हो,
दुःख विनाशक बाण हो...

जीवन सफल हो मोहना,
तुम जिसके मन में हो बसे...

कभी द्रोपदी की लाज हो,
कभी पुण्य पूजित काज हो...

कुरुक्षेत्र में हे युगपुरुष,
तुम धर्म रक्षक व्यास हो...

राधा के पुष्पित प्रेम हो,
मीरा के मोहित मान हो...

आशाओं के प्रतिबिम्ब को,
स्वीकार मेरा प्रणाम हो...

...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
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