बड़ी रंगीनियाँ हो फ़िर...
------------***-----------
बड़ी रंगीनियाँ हो फिर, बड़े मोहक नज़ारे हों...
ज़ुबां ख़ामोश रह जायें, निगाहों से ईशारे हों...
तुम्हारी ज़ुल्फ़ ग़र उलझे, धड़कनें तेज ये होंगी...
मिले राहत मेरे दिल को, हवाओं के शरारे हों...
तेरी चूड़ी, तेरे कंगन, कभी बिंदिया करे साज़िश...
चलो मंजूर होगा ये, जो हम दरिया किनारे हों...
चला जाता हूँ राहों में, मंज़िल की चाहत में...
क़दम ये लौट भी आयें, अग़र तुमने पुकारे हों...
ख़्वाहिश मेरी ये 'रवीन्द्र', यही अरमान रखता हूँ...
तुम्हारा साथ हो ऐसे, गगन में जो सितारे हों...
...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐💐
No comments:
Post a Comment