Monday, 3 April 2017

सरहदों के पार...


                      फिलिपीन्स में भुखमरी की भयावहता को प्रदर्शित करती छायाचित्र.... 

..........से प्रेरित पंक्तियाँ....






सरहदों के पार भी....
-----------***----------

सरहदों के पार भी, होता है सुन्दर सा जहान...
ख़ुशनुमा बहती हवा, और गीत गाता आसमान...

हाथ छोटे हैं मग़र, हमें चाँद तारों की ललक...
खोल दो ये बंदिशें, फिर देख लो मन की उड़ान...

रंग खूं सब लाल है, इस पार भी उस पार भी...
फिर सबक़ लेते नहीं, क्यों हैं हमारे हुक्मरान..?

बाद इन सांसो के मिट्टी, पाक भी नापाक भी...
फिर ग़ुरूर किस बात पे?,शेख़ सूफ़ी राज़दान...

....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐💐

No comments:

Post a Comment

पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...