Friday, 5 May 2017

आसमान सी आस...



बेतरतीब सी ख्वाहिशें, आसमान सी आस...
--------------------******----------------

बेतरतीब सी ख्वाहिशें, आसमान सी आस...
दूर क्षितिज सागर फैला, मिटती नहीं है प्यास...

मुठ्ठी भर साँसे महज़, फिर मिट्टी बे मोल...
परछाईं से सब रिश्ते, सतही हो या ख़ास...

पानी सा मन है सरल, रंग लो कोई रंग...
गाँठ है लगना लाज़मी, टूटे जब विश्वास...

धवल हुआ है नील गगन, रैन हुई बेचैन...
धरती अम्बर रच रहे, दूर क्षितिज पर रास...


...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
*9424142450#...

No comments:

Post a Comment

पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...