सुनो, आओ ना, आ भी जाओ,
यूँ दूर रहकर, अब ना तड़पाओ...
एक तुम्हारा ही इंतज़ार,
बस एक तुमसे ही प्यार,
यही मेरी जिन्दगी,
ये सांसो का कारोबार,
दूर-दूर रहकर, अब ना सताओ...
सुनो, आओ ना, आ भी जाओ...
महक है जेहन में,
पहली मुलाकात की,
मौसम तो बदले,
आँखों के बरसात की,
कुछ तो करो ऐसा, बस मेरी हो जाओ...
सुनो, आओ ना, आ भी जाओ...
गलियां सूनी, पनघट प्यासा, रस्ते हैं उदास,
अपने यहाँ होने का, दे दो इन्हें अहसास,
मेरे घर आँगन में, प्रेम दीपक जलाओ...
सुनो, आओ ना, आ भी जाओ...
अधूरे हैं सपने, गुमसुम सब अपने,
किसको सताऊँ? और किसको मनाऊँ?
किस से कहूँ बात, और हल्का हो जाऊँ,
हाँ रूठे हो बेशक़, पर अब मान जाओ...
सुनो, आओ ना, आ भी जाओ...
उम्मीद हैं सांसे, ख़्वाब है ज़िन्दगी,
मुक़म्मल हो मोहब्बत, यही ईबादत और बन्दगी,
ओ मौसम ए ग़ुल, मेरी दुनिया महकाओ...
सुनो, आओ ना, आ भी जाओ...
यूँ दूर रहकर, मुझे ना तड़पाओ...
...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
छाया चलचित्र... गूगल से साभार...
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