Wednesday, 12 January 2022

गुनगुनाती हो जिसे, वो सुरीला राग हूँ...


ओस बन छू लूँ तुझे मैं,

धुन्ध बन कर साथ हूँ।

तन-बदन को ताज़गी दे,

वो हसीन ख़यालात हूँ।।


मैं तेरी राहों का रहबर,

धूप में साया सघन।

जो खुशी दे उम्र भर,

अलमस्त वो लमहात हूँ।।


मैं तेरे ख़्वाबों की रंगत,

और ख़यालों का हुदूद।

जुस्तज़ु की लगन हूँ मैं,

गुफ़्तगू की बिसात हूँ।।


गुनगुनाती हो जिसे तुम,

वो सुरीला राग हूँ।

सिर्फ आँखों से बयां हो,

दिल की गहरी बात हूँ।।


नित प्रेम के संदेश दे,

वो मुस्कुराता मेघ हूँ।

प्यास वसुधा की बुझा दे,

मैं वही बरसात हूँ।।

#हुदूद=सीमाएँ,हद 

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छायाचित्र google से साभार...

Sunday, 26 September 2021

माँ-बाप की होती हैं ये, पहचान बेटियाँ...


माँ बाप की होती हैं, ये पहचान बेटियाँ,

बेटे जमीन हैं, तो आसमान बेटियाँ।


बेटों से बढ़ा वंशवृक्ष, सत्य है मगर,

देती हैं सदा उसे, फूल और पान बेटियाँ।


वीरों को जन्म दे, लाती हैं जहां में, 

करती नहीं खुद के कभी, गुणगान बेटियाँ।


बेटे हैं महकते हुए गुल, बात ये सच है,

संवारती गुलों को, ये गुलदान बेटियाँ।


मसला हो कोई, मुश्किलात आन पड़ी हो,

रखती हैं हमेशा ही, समाधान बेटियाँ।


बेटों पे फक्र करने वाले, ये भी याद रख,

दोनों कुलों की बढ़ाती हैं, मान बेटियाँ।।


Happy International Daughters Day...

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Sunday, 4 July 2021

आओ कि हम तुम, ये रस्में निभाएं...


 जरूरी है रस्मों का निभना-निभाना,

अपनों से मिलना, सुनना-सुनाना।


अगर ये ना हो, ज़िन्दगी है अधूरी,

ना वादे मुकम्मल, ना अहसास पूरी।। 


आओ कि हम तुम, ये रस्में निभाएं,

सुनें बात दिल की, दिल की सुनाएं।


जब कुछ कहूँ, तुम मेरी मान लेना,

जो कुछ कह न पाऊं, उसे जान लेना।।


ये जिंदगानी हंसीं इक सफ़र है,

जो हों साथ अपने, सुहानी डगर है।


मेरी बात कोई, जो चुभ जाए तुमको,

बता देना मुझको, न आंसू बहाना।।


तुम्हें हक है, मुझसे कहो बात सारी,

सुनूंगा मैं दिल से, सब बातें तुम्हारी।


तुम्हीं मेरी दुनियां, तुम्हीं तो जहां हो,

मेरी चाहतों का खुला आसमां हो।।


करो इतना वादा, न रूठोगे हम से,

कहते हैं मर जायेंगे हम कसम से।


हकीक़त है ये, ना समझो अफ़साना,

हो जाने जिगर, तुम्हीं जाने जाना।।


जरूरी है रस्मों का निभना-निभाना,

अपनो से मिलना, सुनना-सुनाना...

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Saturday, 26 June 2021

उम्मीदें रंगोली सजाने लगीं...

सुहानी सुबह मुस्कुराने लगी।

हवाएँ मिलन गीत गाने लगीं।।


बारिश की बूंदों ने छुआ बदन।

उम्मीदें रंगोली सजाने लगीं।।


सूरज मनाने गया छुट्टियाँ।

बदली भी पायल छनकाने लगी।।


नदिया जो गुमसुम, मायूस थी।

फिर हो कर जवां इतराने लगी।।


ज़मीं पर बने कदमों के निशां।

राहें फिर मेंहदी रचाने लगीं।।


किसी बात पर, जैसे रूठे पिया।

धरा सज संवर के रिझाने लगी।।


बदलना ही है, हर एक दौर को,

सबक ज़िन्दगी ये सिखाने लगीं।।


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Pic. courtesy google...



 

Wednesday, 23 June 2021

गीत सभी को गाना होगा...


टिकटिक कानों में बजती है, घड़ी कोई दिन भर चलती है।

चलते रहने को कहती है, यूँ ही चलते जाना होगा।।

सुंदर सा एक गीत है जीवन, गीत सभी को गाना होगा।।


गुज़र गया जो लौट ना पाये, बीता समय देख मुस्काए।

बच्चों संग मिल बैठ बराबर, जीवन सार सुनाना होगा।।

गीत सभी को गाना होगा...


बचपन खेल खिलौने वाला, यौवन से नित नया उजाला।

दीन बंधु, स्नेहिल स्वजनों को, गह कर गले लगाना होगा।।

गीत सभी को गाना होगा...


साहस, संयम यह दो अनुचर, कर्म चक्र गतिमान निरंतर।

थक कर अगर नींद भी आये, सुंदर स्वप्न सजाना होगा।।

गीत सभी को गाना होगा...


नेक काज, उत्तम अनुशासन,  सद्कर्मों का सतत प्रकाशन।

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, नित यह अलख जगाना होगा।।

गीत सभी को गाना होगा...


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Tuesday, 27 April 2021

फिर सहर सुनहरी आएगी...


सुन  स्याह रात  के बाशिंदे,

फिर सहर सुनहरी आएगी।

दे कर नई सांसें जीवन को, 

फिर दुनियां को महकाएगी।।


फिर फूल खिलेंगे गुलशन में,

चिड़िया चहकेंगी  आँगन में।

फिर    बाग   बगीचे   झूमेंगे,

कोयल फिर कूक सुनाएगी।।


आबाद होंगी फिर पगडंडी,

पनघट पर पनिहारिन होंगी।

फिर  ताल  तलैया  मचलेंगे,

जब  बरखा  रानी  आएगी।।


जब साँझ  ढलेगी  दूर कहीं,

दिन खुद को सहज समेटेगा।

घर  लौटने  वाले  लोगों  के,

कदमों  की  आहट आएंगी।।


मिट जाएंगे बैर और गुमान,

आबाद  होंगे  सूने  मकान।

फिर पायल छनकेगी घर में,

दादी फिर  लोरी  सुनाएगी।।


तुलसी का बिरवा महकेगा,

फिर हवनकुंड भी दहकेगा।

गूँजेंगे फिर  से श्लोक, मंत्र,

दुल्हन  आरती  सजाएगी।।


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Saturday, 24 April 2021

हुई नए दिन की शुरुआत...

ख़्वाब सजाए गुज़री रात,

सुबह सलोनी, महके पात।

चहकती चिड़िया दे संदेश,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


कलियाँ चटक के फूल हुए,

संशय  सब  निर्मूल  हुए।

उपवन की अनुपम सौगात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


भौरें  फिर  मंडरायेंगे,

अनुपम गीत सुनाएंगे।

कह डालेंगे दिल की बात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


बिस्तर छोड़ किसान उठा,

हर मजदूर,  जवान उठा।

सुधरेंगे  फिर  से  हालात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


समय सदा ना एक रहा,

धार भी लें तटबंध बहा।

सर्दी, गर्मी फिर बरसात,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


तू भी अपनी ऑंखें खोल,

बोल सहज ही मीठे बोल।

कर हालात से दो दो हाथ,

हुई नए दिन की शुरुआत।।


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पल दो पल के साथ का.....

पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी रहा... ------------------------***-------------------- पल दो पल के साथ का, मुंतज़िर मैं भी...