Saturday, 13 May 2017

माँ.... सारा जहां है..


नीचे जमीं है फलक आसमां है,
कितना ही सुंदर ये गुलिस्तां है..

चमके गगन में चाँद और सितारे,
तेरी मोहब्बत के बाकी निशां हैं..

कानों में गूँजे है लोरी हरेक पल,
आँखें जो खोलूँ सब कुछ धुआँ है..

आँचल से तेरे लिपट के मैं रो लूँ,
हर पल तेरी यादों का कारवां है..

तुझसे सजी थी ये जीवन रंगोली,
बेरंग तुम बिन माँ सारा जहां है..

...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
*9424142450#

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