दिखे ढलता हुआ सूरज, तो तुम मायूस ना होना,
सफ़र से लौट कर शायद, वोअपने घर को आया है...
कभी टूटे हुए तारे से तुम, ना दिल लगा लेना,
अमानत है वो धरती की, चाहत ने बुलाया है...
किसी रोज ग़र तनहा, हो आसमां में चाँद,
समझ लेना गा के लोरी, तारों को सुलाया है...
जरा सी बात पर कोई, अगर आँखे ही नम कर ले,
उसी पल जान लेना जख़्म, उसने दिल पे खाया है...
कभी ना भूलना 'रवीन्द्र', सहारा था दिया जिसने,
हो बेशक़ दौड़ के क़ाबिल, चलना उसने सिखाया है...
....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐💐
*9424142450#
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