क्यों छूट गया हाथ से, आँचल का वो कोना।
दुनिया मेरी आबाद थी, जिस के तले कभी।।
एक तेरा साथ होना, था सबकुछ हमारे पास।
हासिल जहां ये हमको, लगता है मतलबी।।
परमपिता का जाने, ये कैसा अज़ीब न्याय।
जिसको उठा ले जाये, चाहे वो जब कभी।।
सहमी हुई है धड़कन, बदहवास है साँसें।
शायद गिरी हो बिजली, हम पर अभी अभी।।
ये नज़रें तलाशती हैं, हर ओर तुझे माँ।
आ जाओ दो घड़ी तो, खिल उठेंगे हम सभी।।
...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
नवम पुण्यतिथि पर "ममतामयी माँ "को अश्रुपूरित शब्दांजली...
दुनिया मेरी आबाद थी, जिस के तले कभी।।
एक तेरा साथ होना, था सबकुछ हमारे पास।
हासिल जहां ये हमको, लगता है मतलबी।।
परमपिता का जाने, ये कैसा अज़ीब न्याय।
जिसको उठा ले जाये, चाहे वो जब कभी।।
सहमी हुई है धड़कन, बदहवास है साँसें।
शायद गिरी हो बिजली, हम पर अभी अभी।।
ये नज़रें तलाशती हैं, हर ओर तुझे माँ।
आ जाओ दो घड़ी तो, खिल उठेंगे हम सभी।।
...©रवीन्द्र पाण्डेय 💐💐
नवम पुण्यतिथि पर "ममतामयी माँ "को अश्रुपूरित शब्दांजली...
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