जो साथ रहे परछाई सा,
उस पाक दुआ की बात है क्या...
जन्नत हो गयी ये क़ायनात,
देखो यारों का साथ है क्या...
कुछ अलबेले मस्ताने हैं,
कुछ मस्ती भरे खजाने हैं...
मन सराबोर हो झूम उठा,
महके-महके जज़्बात हैं क्या...
ये सुबह नई मुस्काई है,
संदेशा उनका लायी है...
बिन बात खिले हैं चेहरे क्यों,
यारों की कोई बात है क्या...
ओ मतवाली पुरवा न मचल,
बैरन यूँ ना इठला कर चल...
मैं खो जाता हूँ यादों में,
वो गुज़रे हुए लमहात है क्या...
अब आइना हैरान है क्यूँ,
इतना खुश ये इंसान है क्यूँ...
वो क्या जाने, वह क्या समझे,
अपने यारों का साथ है क्या...
...©रवीन्द्र पाण्डेय 🌹🌹
*9424142450#
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