होली कैसे मनाऊँ..?
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सिसक रहा हूँ मन ही मन, ये आंसू कैसे छिपाऊँ?
तुम्हीं बताओ देश प्रेमियों, होली कैसे मनाऊँ?
वादा था नन्हें हाथों को, देता मैं पिचकारी...
शांति कुंड की आहुति में, बुझ गयी ये चिंगारी...
सुलग रहे बस्तर में कैसे, शांति दीप मैं जलाऊँ?
तुम्हीं बताओ...
मौत बिछी थी हर पग में, लेकिन कैसे रुक जाता?..
वीर तुम्हारा बेटा हूँ माँ, कायर क्यों कहलाता?..
कर्तव्यों की बलिवेदी पर, शीश सदा मैं झुकाऊँ...
तुम्हीं बताओ...
माना बाबूजी बूढ़े अब, माँ की उमर ढली है...
घर की जिम्मेदारी भी, सुरसा मुँह लिए खड़ी है...
मातृभूमि के लिए समर्पित, सौ सौ जनम मैं पाऊँ...
तुम्हीं बताओ...
अंतिम सांस के रुकने तक, हमने हथियार न डाला...
अमन के राह की चाहत में, नफ़रत की पी ली हाला...
भटके हुए लौट आओ घर, यही सबको मैं समझाऊँ...
तुम्हीं बताओ...
तुम्हीं बताओ देश प्रेमियों, होली कैसे मनाऊँ..?
मैं होली कैसे मनाऊँ..?
11 मार्च 2017 को 'सुकमा' बस्तर....(छत्तीसगढ़) में वीर गति प्राप्त माँ भारती के सपूतों को शब्दांजलि...
....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
waah,
ReplyDeleteatyant bhavuktapurn rachna