Tuesday 18 July 2017

कृतियाँ नव दीपक बन, साहित्य के अलख जगाएंगी...

हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि अजित कुमार जी के निधन से मन आहत हुआ है...

अश्रुपूरित शब्दांजलि.....


मौसम एक प्यारा बीत गया,
वो सबके मन को जीत गया,
अब शेष स्मृतियां जीवन भर,
हमें उनकी याद दिलाएंगी...

कुछ कर देंगी आँखें नम,
कुछ मंद मंद मुस्कायेंगी...

ये रीत जगत की न्यारी है,
निर्धारित सबकी बारी है...
वो छोड़ चले पद चिन्ह यहाँ,
जैसे सुन्दर फुलवारी है...
शब्दों भावों की फुलवारी,
तन मन को महकाएंगी...

कुछ कर देंगी आँखें नम,
कुछ मंद मंद मुस्कायेंगी...

उन्हें ढूँढेंगे अक्षर-अक्षर,
कुछ आलोकित कुछ अभ्यंतर...
कभी रस छंदों और भावों में,
जीवन के दशों दिशाओं में...
नवसृजन को दे आयाम नया,
फिर कड़ियाँ जुड़ती जायेंगी...

कुछ कर देंगी आँखें नम,
कुछ मंद मंद मुस्कायेंगी...

आओ मिल कर यशगान करें,
दिव्यात्मा का सम्मान करें...
लौट आएंगे नव रूप लिए,
उन्हें अंतर्मन से प्रणाम करें...
उनकी कृतियाँ नव दीपक बन,
साहित्य के अलख जगाएंगी...

कुछ कर देंगी आँखें नम,
कुछ मंद मंद मुस्कायेंगी...

...©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐
*9424142450#

http://kavi-Ravindra.blogspot.com

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