Monday 24 April 2017

चीख रहे बस्तर के साल...

रोया हूँ फिर आज सुबक के...
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रोया हूँ फिर आज सुबक के, हरियर चुनरी हुई है लाल...
मेरे खातिर कितनी माँ, खोएंगे अभी अपने लाल..?

मेरे मन की पीड़ा को, अब तो कुछ आराम मिले..?
झुलस रही कोशल की बगिया, अमन के सुंदर फूल खिले...
कब होगा दहशतगर्दों के, मन में रत्ती भर का मलाल..?
रोया हूँ फिर आज सुबक के, हरियर चुनरी हुई है लाल...

दलपतसागर में तैरो, तीरथगढ़ में स्नान करो...
दंतेश्वरी के दर्शन कर लो, चित्रकोट गुणगान करो...
पर ना उठने देना तुम, मेरे अस्तित्व पर ही सवाल...
रोया हूँ फिर आज सुबक के, हरियर चुनरी हुई है लाल...

सीना चीर के रख दूँगी, करो खनिज का उत्पादन...
होगी खुशियाँ और विकास, नहीं होगा किंचित भी रुदन...
शान्ति सरोवर से उपवन में, ना हो पाये कोई बवाल...
रोया हूँ फिर आज सुबक के, हरियर चुनरी हुई है लाल...

मेरी अस्मत के खातिर, कितने बेटे कुरबां होंगे..?
कितने आँगन उजड़ेंगे, कितनी खुशियाँ फ़ना होंगे..?
मत खेलो यूँ खून की होली, चीख रहे बस्तर के साल...
रोया हूँ फिर आज सुबक के, हरियर चुनरी हुई है लाल...

करो जतन ऐसा कुछ वीरों, दामन ना हो मेरे लाल...
बंजर ना हो दरभा, झीरम, फिर ना रोये बुर्कापाल...
कर दो आर पार की हालत, खत्म करो ये सारे मलाल...
रोया हूँ फिर आज सुबक के, हरियर चुनरी हुई है लाल...

24 अप्रेल 2017 को सुकमा में वीरगति प्राप्त..... माँ भारती के सपूतों की शहादत को नमन...
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि,..

....©रवीन्द्र पाण्डेय💐💐💐
*9424142450#

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